चंडीगढ़।  भण्डारी अदबी ट्रस्ट द्वारा टी एस सेन्ट्रल स्टेट लाइब्रेरी, चंडीगढ़ के सहयोग से सेक्टर 17 में इस लाइब्रेरी हाॅल में त्रिभाषीय कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें ट्राईसिटी सहित पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के लगभग 40 कवियों और शायरों ने अपनी मनमोहक कविताओं, शायरी और नज़्म से समां बांधा और इस आयोजन को यादगार बना दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत भण्डारी अदबी ट्रस्ट के चेयरमैन अशोक भण्डारी ’नादिर’ के स्वागती भाषण के साथ हुआ जिसके उपरांत उन्होंने विजय दिवस के उपलक्ष्य पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा। विजय दिवस पर उन्होंने अपने विचारों को साझा करते इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि 1971 का युद्ध हर देशवासी के दिल में उमंग पैदा करने वाला साबित हुआ है।

अशोक भंडारी ’नादिर’ ने त्रिभाषीय कवि दरबार के उद्देश्य को भी सांझा करते हुए कहा कि यह दरबार खास तौर से नव पीढ़ी में गजल, नज़्म के प्रति रूचि व रूझान पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वे इससे सदैव जुडे़ रहेें। उन्होंने कहा कि जब जब सियासत के पांव लड़खड़ाने लगते हैं तब तब उसको साहित्य ने सहारा दिया है, और यह लाजिम है कि जिस शख्स की साहित्य में खासतौर पर नज़्म या गजल में रूचि होती है उसका हर इंसान से व्यवहार बेहतर हो जाता है, और यह एक अटल सच्चाई भी है। उन्होंने बताया कि हर माह त्रिभाषीय कवि दरबार होता है जिसमें नये गजल कोे पुराने गजल लिखने वालों के साथ रू-ब-रू करवाया जाता है ताकि वह उनसे कुछ सीख सकंे। भण्डारी अदबी ट्रस्ट नवयुवाओं को इसके लिए एक मंच प्रदान करता है।

यह दरबार कवि, शायर व गजल लिखने वालों के लिए मंच है, आज सभी ने अपनी रचनाओं को एक के बाद एक लाजवाब अंदाज में सुना कर श्रोताओं को मत्रमुग्ध कर वातावरण को शायराना कर दिया। अशोक भण्डारी ’नादिर’ ने अपनी प्रस्तुति में खूबसूरत गज़ल ’न मुट्ठी भर कभी रोशनी में बस जिया जाए, तराने दिल में रख, उम्मीद का दामन सिया जाए’ बखूबी प्रस्तुुत किया। संतोष धिमान ने हैंरा हूं कि आसमान में हर सूरज बाज उतर आएं हैं, चिड़िया है खामोश सोचकर खतरे में पर लगता है, गज़ल श्राताओं के समक्ष प्रस्तुत की। वहीं  सुदेश ’नूर’ ने नज़्म ’दिल की वादी में जब मैंने देखा तुम्हें’ सुनाई। सिरी राम ’अर्श’ ने ’इश्क दियां पैडां रोशनाइयां, शमां उसदे नाल बिताईयां जानगियां’ गज़ल सुनाई। प्रेम विज ने खुशियों और खुशबुओं को लेकर आए नया साल, मुस्कुराता चेहरा लेकर आए नया साल’ नज़्म सुनाई। प्रो आर पी सेठी ने ’ प्यार की धांव किसी जिस्म में जब पलती है, धूप नज़दीक से सिर ढांप के निकलती है’ गज़ल सुनाई। मनमोहन सिंह दानिश ने ’ दिल में हो जिनके हौसला उंची उड़ान का’ गज़ल बखूबी सुनाई। डाॅ जितेन्द्र परवाज़ ने ’कुछ आपमें भी बात वो पहले सी है कहां, कुछ साजिशों से वक्त की हम भी बदल गए गज़ल सुनाई। इनके अलावा अन्य शायरों में गुरमिंदर सिधू, गणेश दत्त, ईशा नाज़ा, शमश तवरेजी, मुसर्व फिरोजपुरी, सविता गर्ग, संगीता कुंद्रा ने अपनी गज़ले प्रस्तुत की।
इस अवसर भण्डारी अदबी ट्रस्ट के पैट्रन सिरी राम ’अर्श’ मुख्यअतिथि थे जबकि प्रेम विज व के के शारदा विशेष अतिथि थे।

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