चंडीगढ़
सरपंच एसोसिएशन ऑफ हरियाणा ने ई-टेंडरिंग, परिवार पहचान पत्र की मांग पर आपत्ति करते हुए आज यहां कहा कि इससे प्रदेश की जनता को परेशानी हो रही है। सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष, रणबीर समैन ने कहा कि राइट टु रिकॉल का नियम आम आदमी पर नहीं, सबसे पहले तो सांसदों और विधायकों पर लागू होना चाहिए।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए, रणबीर समैन ने कहा कि उन्होंने सरकार से मांग की है कि संविधान की 11वीं सूची में ग्राम पंचायतों को प्रदत्त सभी 29 अधिकार दिए जाने चाहिए। ग्राम सभा के अधिकारों को समाप्त करने पर पंचायतों का महत्व ही खत्म हो जाएगा। इसलिए ठेकेदारी प्रथा फिर से लागू नहीं होनी चाहिए।
सरपंच एसोसिएशन ने अपनी मांगों के समर्थन में हरियाणा में 20 फरवरी को जगह-जगह जुलूस निकालने की घोषणा की है। साथ ही कहा कि 21 फरवरी तक मांगें नहीं मानी गईं और विधानसभा में इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की गई तो कड़े निर्णय लिए जाएंगे और 1 मार्च को मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया जाएगा।
कांफ्रेंस में संतोष बेनीवाल (उपाध्यक्ष), ईशम सिंह (महासचिव), आशीष, रविंदर काजल (प्रेस प्रवक्ता), राकेश (आई टी सेल हेड) , संदीप गुलिया ( मेंबर ) और नरेंदर कादयान (सचिव) भी उपस्थित थे।
रणबीर समैन ने कहा कि मनरेगा की ऑनलाइन हाजिरी लगाने का नियम भी परेशानी खड़ी कर रहा है, क्योंकि अनेक स्थानों पर नेटवर्क नहीं आता है जब इस तरह की हाजिरी में परेशानी होती है। प्रदेश के 90 विधायक ग्रामीण वोटों से ही चुनकर जाते हैं, लेकिन जब ग्रामीणों को उनकी जरूरत होती है तब वे नदारद रहते हैं।
एसोसिएशन की धमकी है कि जो विधायक अपने चुनाव क्षेत्र की अनदेखी कर रहे हैं उन्हें गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा और ऐसे विधायकों का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। यदि एसोसिएशन की बातें न मानी गईं तो आगामी चुनावों का भी विरोध किया जाएगा। बैठक में एक सुर से कहा गया कि सरकार को सरपंचों के अधिकार वापस देने चाहिए।