चंडीगढ़, पहला लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन फोर्टिस मोहाली में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया है। लीडलेस पेसमेकर एक विटामिन कैप्सूल के आकार के होते हैं। यह उन रोगियों के लिए सहायक है जिन्हें पेसमेकर की आवश्यकता होती है और उनके फेफड़ों में उच्च दबाव भी होता है। डॉ. अरुण कोचर के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने परमानेंट लीडलेस पेसमेकर लगाकर मरीज का अत्याधुनिक तकनीक से इलाज किया।

फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में कार्डियोलॉजी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. अरुण कोचर ने बताया, 83 वर्षीय बुर्जुग महिला, जिन्हें कई अन्य बीमारियों के साथ बुखार भी था, का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। वह कोरोनरी आर्टरी डिजिज के हाईपरटेंशन और ब्रैडीकार्डिया (धीमी गति से दिल की धड़कन) से पीड़ित थी और उसके होल्टर एनालाइसेस से महत्वपूर्ण साइनस रुकावट का पता चला था, जबकि उसे पुलमोनरी आर्टरी हाईपरटेंशन के साथ गंभीर माइट्रल रेगुर्गिटेशन भी थी। उनकी सह-रुग्णताओं (को-मॉर्बिडीटीस) को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया कि उन्हें लीडलेस पेसमेकर दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी पुलमोनरी आर्टरी हाईपरटेंशन न बढ़े।

पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में, लीडलेस पेसमेकर का आकार लगभग 90 प्रतिशत छोटा होता है। यह कई तारों से रहित है, जो एक पारंपरिक पेसमेकर से हृदय कक्ष से जुड़ता है। लीडलेस पेसमेकर में छाती की दीवार या तार संबंधी जटिलताओं में पेसमेकर साइट की कोई जटिलता नहीं होती है। यह विटामिन कैप्सूल या ट्रिपल ए बैटरी के आकार का होता है। लीडलेस पेसमेकर को टांग की नस के माध्यम से ट्रांसप्लांट किया जाता है और इसे सीधे हृदय कक्ष में ट्रांसप्लांट किया जाता है।

डॉ अरुण कोचर ने कहा, “यह मिनीमल इनवेसिव प्रोसेस रोगी के अनुकूल है और रोगी को बिना किसी जटिलता के बेहतर इलाज करने की अनुमति देती है। यह स्थानीय एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है और लंबे समय तक रोगियों में इसके सफल परिणाम होते हैं।

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