चण्डीगढ़ : आज श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, सेक्टर 20 में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी का जन्म महोत्सव बड़े हर्षोल्लास व विधिपूर्वक मनाया गया। मठ के प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सुबह मंगल आरती के पश्चात भक्तों द्वारा चैतन्य महाप्रभु जी के जन्म महोत्सव के उपलक्ष पर संकीर्तन प्रभात फेरी निकाली। तत्पश्चात शाम तक चैतन्य अमृत का पाठ निरंतर होता रहा। भक्तों को संबोधित करते हुए भक्ति सिद्धांत सिद्धांति महाराज जी ने कहा कि आज ही के दिन बंगाल प्रांत के नवदीप धाम मायापुर नामक स्थान पर भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने इस धरती पर अवतार लिया। जिस दिन भगवान चैतन्य महाप्रभु जी ने अवतार लिया उस दिन पूर्णिमा थी इसलिए इसको भक्त लोग गौर पूर्णिमा के रूप में प्रति वर्ष मनाते हैं। महाराज जी ने कहा कि भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने प्रेम अवतार लिया त्रेता युग, द्वापर युग में, कृष्ण भगवान और राम ने अवतार लेकर दुष्टों का उद्धार शस्त्र से किया था लेकिन कलयुग में उन्होंने अवतार लेकर प्रेम पूर्वक हरी नाम संकीर्तन का उपदेश देकर हरि नाम संकीर्तन करवाकर दुष्टों का प्रेम पूर्वक उद्धार किया। आज संसार में जो हरि नाम संकीर्तन हो रहा है उसके जनक चैतन्य महाप्रभु ही थे। चैतन्य महाप्रभु ने कहा था कि हरि नाम संकीर्तन संसार के गांव-गांव में गूंजेगा। आज विश्व के 5000 से भी अधिक भक्ति भगवान कृष्ण हरि का नाम संकीर्तन गूंज रहा है। आज सुबह से ही भक्तों में महाप्रभु के जन्म महोत्सव के उपलक्ष्य पर उल्लास उमंग झलक रहा था। बड़ी संख्या में भक्तों ने एकत्रित संकीर्तन का आनंद प्राप्त किया। संध्या काल में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु का अवतार हुआ था। उनका पंचामृत से अभिषेक किया गया। उनको नए वस्त्र भेंट किए गए और 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। भक्तों को फलाहार का प्रसाद वितरित किया गया।