पंचकूला (अमर शर्मा ) देश में डॉक्टरों को जहां भगवान के रूप में जाना जाता है लेकिन अक्सर देश में डाक्टरों की लापरवाही का मामला देखा और सुना जाता है। आज एक ऐसा ही एक मामला पंचकूला के २६ सेक्टर ओजस अस्पताल का सामने आया। जहां पंचकूला के एक व्यक्ति से इलाज के नाम पर लाखों रूपये वसुल लिए। जिला अदालत के आदेश पर ओजस अस्पताल के डॉ आनंद और डॉ हरिश गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। फर्जी रिपोर्ट के आधार पर कोविड का उपचार करने के मामले में पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया है। मामले की शिकायत पीडि़त और उसके बेटे ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से की थी, लेकिन पीडि़त को न्याय नहीं मिला। जिसके बाद पीडि़त ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत के आदेश पर चंडीमंदिर पुलिस ने ओजस अस्पताल सहित उपचार करने वाले डॉक्टर के खिलाफ धारा 269, 270, 420, 468, 471, 120-बी और 506 के तहत मामला दर्ज किया है। पंचकूला सेक्टर-26 निवासी सौरव शर्मा ने बताया कि 6 जनवरी 2022 को उनके पिता तरसेम चंद की तबीयत खराब हुई और उन्हें इलाज के लिए सेक्टर-26 ओजस में दाखिल करवाया गया। अस्पताल में दाखिल होते ही डॉक्टरों ने शिकायतकर्ता को उसके पिता के कोविड पॉजिटिव होने की बात कहकर उनको पांच मिनट में कोविड वार्ड में दाखिल कर दिया। परिजनों को मरीज से मिलने से साफ मना कर दिया।

 

इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन द्वारा अगले ही दिन मरीज की तबीयत ज्यादा खराब होने का हवाला देकर अस्पताल के आईसीयू में वेंटिलेटर लगाने की बात कही गई, लेकिन उस दौरान भी शिकायतकर्ता को उसके पिता से नहीं मिलने दिया गया। पिता के दाखिल होने के दो दिन बाद शिकायतकर्ता ने अस्पताल प्रबंधन से कोविड की पुष्टि पंचकूला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नहीं दिए जाने की बात बताई गई। इसके अगले दिन ही स्वास्थ्य विभाग की तरफ से शिकायतकर्ता के पास कॉल आई और 12 जनवरी को उनके पिता को कोविड पॉजिटिव बताया गया। हैरानी की बात यह है कि ओजस अस्पताल द्वारा मरीज को 6 जनवरी को ही कोविड पॉजिटिव बताकर फर्जी रिपोर्ट तैयार किया गया था।

मरीज को रोजाना रेमडिसिविर इंजेक्शन लगाने का चार्ज भी लिया गया। करीब हफ्ते तक चले ट्रीटमेंट के लिए करीब 8 से 9 लाख रुपये की पेमेंट ली गई थी। शिकायतकर्ता सौरव शर्मा ने बताया कि आरटीआई के माध्यम से उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से जानकारी ली तो पता चला कि 6 जनवरी को उनके पिता को कोविड नहीं हुआ था। पैसा वसूलने के लिए ओजस अस्पताल ने फर्जी तौर पर उनको कंफर्म कोविड बताया था। मामले की शिकायत सीएमओ से की गई, लेकिन सीएमओ की तरफ से अभी तक मामले की जांच की जा रही है। न्याय मिलने में देरी होने पर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

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