पति और उसका परिवार अपनी पत्नी और अपनी मासूम बेटी को गोद लेने के लिए दहेज की मांग कर रहे थे और समझौता कराने के लिए आगे आए पुलिस के दो डीएसपी के बार-बार कहने पर भी नहीं मानने पर उनके खिलाफ पुलिस महिला सेल को करनी पड़ी बड़ी कारर्वायी।
चंडीगढ़/बरनाला। दहेज हेतु प्रताड़ित की गई बरनाला की एक पढ़ी-लिखी लड़की की शिकायत पर बरनाला पुलिस ने कॉस्ट मैनेजमेंट अकाउंटेंट (सीएमए) की प्रेक्टिस करने वाले उसके चंडीगढ़ निवासी पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि सीएमए और उसका परिवार अपनी मासूम बेटी को गोद लेने के लिए पीड़िता से दहेज की मांग करता आ रहा था। यह मामला पुलिस महिला सेल बरनाला के दो डीएसपी के पास भी पहुंचा, उन्होंने समझौते के लिए कई बैठकें भी बुलाईं, लेकिन बार-बार बातचीत करने के बाद भी लड़का पक्ष नहीं माना और पुलिस महिला सेल द्वारा मामला दर्ज करने के लिए केस पुलिस थाना सिटी-1 को रैफर किया है। बरनाला पुलिस ने शिकायत में शामिल 10 आरोपियों में से केवल पीड़िता के पति के खिलाफ ही मामला दर्ज किया है, बाकी 9 आरोपियों को फिलहाल एफआईआर से बाहर रखा है।
यह बताया गया मामला-
प्रदेश की एक विख्यात समाजसेवी संस्था के कार्यकर्ता बरनाला निवासी विजय कुमार गोयल की बेटी हिमांशी अग्रवाल, जो कुछ महीने पहले अपने पति और ससुराल वालों से तंग आकर अपनी मासूम बेटी के साथ बरनाला आई थी, उसने महिला सेल में जाकर पुलिस अधिकारियों को आपबीती सुना शिकायत दी थी कि उसकी शादी करीब 6 साल पहले 18 अप्रैल 2017 को सोही पैलेस जीरकपुर में बड़े धूमधाम से मदन मोहन अग्रवाल के बेटे चंडीगढ़ निवासी मोहित अग्रवाल के साथ हुई थी। हालाँकि मेरे माता-पिता ने दहेज के रूप में मेरे ससुराल वालों की हर मांग पूरी की थी, फिर भी उन्होंने शादी के कुछ समय बाद उसे (पीड़िता को) परेशान करना शुरू कर दिया। जनवरी 2019 में जैसे ही उसकी कोख से बेटी का जन्म हुआ और पीड़िता अपने ससुराल पहुंची तो उसकी बेटी (तनिष्का) का स्वागत करने के बजाय उसके पति, उसके चाचा-चाचियों, बहनों व बहनोइयों ने उसे पहले से भी ज्यादा परेशान करना शुरु कर दिया।
एक दिन पीड़िता से उसके पति मोहित ने कहा कि उसे अपना ऑफिस बनाना है, उसे 15 लाख रुपये चाहिए। उसके पति मोहित अग्रवाल और परिवार के अन्य सदस्यों ने पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने व्यवस्था नहीं की तो उसे घर में जगह नहीं मिलेगी। शिकायत में कहा गया है कि जालिमाना दुर्व्यवहार तब शुरू हुआ जब पीड़िता जनवरी-2021 में दूसरी बार गर्भवती हो गई। उसके पति मोहित ने अपने पतिधर्म का फर्ज़ निभाने के बजाय पीड़िता से झगड़ा किया, उसे धक्का दिया और जोर से जमीन पर पटक दिया, उस मौके पर परिवार के बाकी लोग भी मौजूद थे। जिससे पीड़िता को तेज दर्द हुआ, बेहोश होने पर मोहित उसे सेक्टर-32 स्थित जीएमसीएच अस्पताल ले गया। जहां डॉक्टर ने बताया कि गर्भ में पल रहे बच्चे (गर्भपात) की मौत हो गई है। पीड़िता का इलाज कराने के बजाय मोहित उसे लेकर वापस घर चला आया। ज्यादा दर्द बढ़ने पर पीड़िता ने अपने माता-पिता को फोन पर जानकारी दी। जिसके बाद बरनाला से चंडीगढ़ पहुंचे पीड़िता के माता-पिता ने बरनाला आकर पीड़िता का इलाज कराया।
पीड़िता ने पुलिस को बताया है कि घटना के बाद वह अपने पति और ससुराल परिवार से पूरी तरह से टूट चुकी थी और इसी वजह से उसने ससुराल जाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद कुछ रिश्तेदारों और मोहित अग्रवाल से माफ़ी मांगने और अपने माता-पिता से पूछने के बाद वह अपने ससुराल चंडीगढ़ वापस जाने के लिए तैयार हो गई। इस समझौते के कुछ दिन बाद ही मोहित ने अपने चाचा-चाचियों, बहन-बहनोइयों ने मुझे (पीड़िता) को घर छोड़ने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया। मार-पीट और जुल्म की इंतहा हो चुकी थी, इसके बावजूद मेरे माता-पिता मुझसे कहते रहे कि समय का इंतजार करो, अच्छे दिन जरूर आ आयेंगे।
शिकायत में पीड़िता ने कहा है कि उसके पति और ससुराल वालों ने उसकी अनुपस्थिति में उसके बेडरूम में सीसीटीवी कैमरा लगा दिए थे, जिसके बारे में उसे बाद में पता चला। पीड़िता ने कहा है कि उसका वर्तमान और भविष्य पूरी तरह से बर्बाद हो गया है, अपनी बेटी तनिष्का को बचाने के लिए उसने पंजाब के मुख्यमंत्री, आईजीपी (पटियाला रेंज) पटियाला, जिला पुलिस अधीक्षक, बरनाला को शिकायत पत्र भेजा। जिसकी सुनवाई 22 जून 2023 को शुरू हुई। पुलिस महिला सेल बरनाला के अधिकारी डीएसपी कुलवंत सिंह और डीएसपी गुरबचन सिंह ने करीब चार महीने तक दोनों पक्ष के साथ कई बैठकें कीं। दोषियों ने उससे (पीड़िता) माफी मांगना तो दूर की बात अपनी बेटी तनिष्का को एक मर्तबा प्यार से बुलाया तक नहीं। जिसके चलते सभी बैठकें बेनतीजा रहीं।
मामला दर्ज, 9 को किया बाहर, कैसे मिलेगा इंसाफ?
जब पुलिस की सभी बैठकें बेनतीजा रहीं तो आखिरकार पुलिस को मोहित अग्रवाल के खिलाफ पड़ताड़ना और दहेज की धारा 498-ए, 406 भादंसं के तहत मामला दर्ज करना पड़ा, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि जब पीड़िता हिमांशी अग्रवाल ने शिकायत पत्र में अपने पति (दहेज मांगने के लिए जिम्मेदार महिलाओं) सहित 10 लोगों को शामिल किया था तो आरोपित पक्ष के 9 लोगों को एफआईआर से बाहर कैसे छोड़ दिया है। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि बरनाला पुलिस दहेज चाहने वालों को अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी से पहले गिरफ्तार करती है या बाद में। इसके बाद माननीय न्यायालय की कार्यवाही शुरू होने पर बरनाला पुलिस किस तरह का बचाव पेश करती है। इधर यह भी पता चला है कि मामले के मुख्य आरोपी सीएमए मोहित अग्रवाल चंडीगढ़ से हिमाचल जा कर कहीं छिप गया है।