कालका/इदम टुडे न्यूज़ डेस्क/ सुभाष कोहली । कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी मनाई जाती है। इस पर्व को मनाने की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। इसमें गौ माता की पूजा का विधान है।
एस्ट्रोलॉजर पंडित एम. एस. थपलियाल (आदित्य), ने गोपाष्टमी तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताया की गोपाष्टमी का त्योहार 20 नवंबर 2023 को होगा। पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष अष्टमी तिथि सोमवार, 20 नवंबर, 2023 को सुबह लगभग 5:21 बजे शुरू होगी और मंगलवार, 21 नवंबर, 2023 को सुबह लगभग 3:18 बजे समाप्त होगी। ऐसे में गोपाष्टमी 20 नवंबर को मनाई जाएगी।
गोपाष्टमी महत्व:
हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गाय में 36 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। धार्मिक ग्रथों में गाय के बारे में लिखा है: “जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ, तो बहुत से रत्न निकले, जिनमें कामधेनु गाय भी शामिल थी। कामधेनु पवित्र थी इसलिए ऋषि-मुनि उसे अपने पास रखते थे। श्रीमद्भागवत गीता में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण बचपन में गायों के साथ खेलते थे और गायों की सेवा भी करते थे। उन्हें गायों से बहुत प्यार था। गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करने से सौभाग्य, सुख और समृद्धि आती है। कहा जाता है कि इस दिन गाय और बछड़ों की भी पूजा की जाती है।
गोपाष्टमी व्रत को लेकर ये है पौराणिक कथा:
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पूजा के दिन ही गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा (छोटी उंगली) पर उठा लिया था। इस दौरान इंद्रदेव ने लगातार 7 दिनों तक बारिश की थी, लेकिन आखिरकार इन्द्र देव ने गोपाष्टमी के दिन अपनी पराजय स्वीकार कर ली थी।
विशेष- गोमाता को फल, मिष्ठान, हरा चारा, आटे व गुड़ की भेली, पकवान आदि खिलाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। इस दिन गोमाता के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण जी की भी पूजा करें।

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