अणुव्रत भवन में गुरुग्राम का श्रावक समाज वृहद संघ के साथ साध्वी कुन्दनरेखा के पावन सान्निध्य में ‘ज्ञानशाला का पुन: प्रारंभ’ की थीम को लेकर पहुॅचा।
नई दिल्ली (जतिन / राजा )रविवार को दिल्ली के आई टीओ में स्तिथ अणुव्रत भवन में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा ज्ञानशाला का आयोजन किया गया। जिसमें
साध्वी डॉ.कुन्दनरेखा ने बच्चों को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि आज ज्ञानशाला का पुन: प्रारंभ समाज की जागरुकता का पर्याय बन रहा है। जिस समाज के बच्चे सद्संस्कारों की ज्योतिर्मय ज्योति से ज्योतित होंगे, वह समाज विकास के शिखर का स्पर्श कर सकते है। ‘ज्ञानशाला’ अच्छे जीवन जीने की प्रयोगशाला है। यहाँ पर आने वाला हर बच्चा अन्य बच्चों से यूनीक होगा- यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। साध्वी कुन्दनरेखा ने आगे कहा- वर्तमान युग में बच्चों को सही मार्ग से भटकाने वाले अनेक रास्ते हैं। व्यसन परक जीवनशैली के चलते आज का मानव अपना अस्तित्व खो रहा है। जरूरी है ‘ज्ञानशाला’ का प्रोजेक्ट जो बच्चों को जीना सिखाती है, सद्संस्कारों की सौरभ से महकाती है। विषम परिस्थितियों से निकलने के गुर बताती है और कषाय उपशमन की साधना का बोध पाठ पढ़ाती है। आज गुरुग्राम के श्रावक-समाज बच्चों के साथ यहाँ पहुँचे हैं- एक नई शुरुआत करने के लिए। यह बीजारोपण एक दिन वृक्ष बनकर दुनियाँ को तो शीतलता प्रदान करेगा ही, स्वयं के द्वारा स्वयं को भी निखारेगा- शुभ कामना।
साध्वी सौभाग्य यशा ने कहा – बच्चे राष्ट्र की नींव हैं, यह जितने सुदृढ़ होंगे, राष्ट्र का भविष्य उतना ही उज्जवल होगा। संस्कार किसी भी दुनियां के मॉल में नहीं; माहौल से मिलते हैं। विनय, विवेक और
और विद्या रूपी त्रिपदी से ज्ञानार्थी सद्संस्कारों को पुष्ट करेंगे तो निश्चित ही शुभ भविष्य की परिकल्पना साकार होगी।
साध्वी कल्याण यशा ने मंच का संचालन करते हुए कहा – गुरुदेव श्री तुलसी ने सर्वाङ्गीण विकास के लिए सुन्दर एवं महत्त्वपूर्ण अवदान ज्ञानशाला का दिया है। ज्ञानशाला से निकले हुए बच्चे न केवल स्वयं का अपितु परिवार, समाज एवं राष्ट्र के लिए हितकारी होते हैं।
गुरुग्राम सभा के अध्यक्ष श्री विनोद बापना ने कहा- ’बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है। शुभ भविष्य के लिए भावी पीढ़ी में संस्कारों के पौध के बीजारोपण का कार्य ज्ञानशाला करती है। ज्ञानशाला केवल बच्चों का निर्माण नहीं वरन् भावी समाज और राष्ट्र का निर्माण है। पूरे गुरुग्राम समाज की जागरूकता और हमारी नई टीम के सामूहिक विजन और श्रम से इस महत्वपूर्ण आयाम में नई जान डालना संभव हो पाया है। गुरुदेव से प्राप्त अमृतमय प्रेरणा और अनंत ऊर्जा से हमें मिलकर अनेक स्वप्न को मूर्त्त रूप देना है। संघ समर्पण और मजबूत संगठन के साथ आध्यात्मिक और सामाजिक लक्ष्यों को गति देने के कार्य प्रति हम सजग है।’ विनोद जी ने स्व. निर्मल दोसी के प्रति भावांजलि व्यक्त कर दोसी परिवार का आभार व्यक्त करते हुए बताया की पिता जी की स्मृति में पवन दोसी द्वारा दो वर्ष के लिए ज्ञानशाला के प्रबंधन और व्यवस्थाओं के दायित्व वहन का निर्णय संपूर्ण समाज के लिए उदाहरण है, अनुकरणीय है। विनोद बापना ने सभी संघीय संस्थाओं और समाज से आगे बढ़कर सहयोग हेतु अपील की।
तेरापंथ सभा दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने कहा- ज्ञानशाला संस्कारशाला है, निर्माणशाला है और है एक सुन्दर प्रयोगशाला है, जिसके माध्यम से नए नए प्रारूप सम्मुख आ रहे है। जिस कारण देश, राष्ट्र प्रगति के शिखर पर चरणान्यास है। प्रमोद घोड़ावत ने कहा- ‘ज्ञानशाला’ तेरापंथ धर्म की सुन्दर पाठशाला है, जिसके माध्यम से भावी पीढ़ी का निर्माण स्पष्ट दिखाई देता है। इस अवसर पर दिल्ली सभा अध्यक्ष सुखराज सेठिया, महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, दक्षिण दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष श्री हीरा लाल गेलडा ने बच्चों को उपहार भेंट किये।
ज्ञानशाला केंद्रीय समिति सदस्या सरोज छाजेड़, दिल्ली एनसीआर यूपी के आंचलिक संयोजक महिम बोथरा और सह आंचलिक संयोजक मनीष पुगलिया ने भी गुरुग्राम ज्ञानशाला के पुनः संचालन में अपनी प्रसन्नता व्यक्त की, शुभकामनाएं प्रेषित की और गुरुग्राम सभा के इस अथक प्रयास हेतु पूर्ण सहयोग के लिए आश्वस्त किया। श्रीमती सरोज छाजेड़ ने देश विदेश में संचालित ज्ञानशालाओं के संचालन बारे में सभी को बताया। श्री सम्पत नाहटा ने इस अवसर पर अपने विचारों की प्रस्तुति दी।
ज्ञानार्थी बच्चों की प्रस्तुतियां सराहनीय रही जिसे प्रशिक्षिका साक्षी बोथरा और रूबी बापना ने तैयार करवाया। महासती गुलाबांजी के जीवन से सम्बन्धित एक घटना पर बच्चों ने सुंदर एक्ट प्रस्तुत किया। प्रशिक्षिकाओं ने ज्ञानशाला गीतिका की प्रस्तुति दी। मंगलाचरण मंथन जैन ने महाप्रज्ञ अष्टकम् द्वारा किया। विहाना जैन ने लोगस्स पाठ और प्रणीत जैन ने कविता की प्रस्तुति दी। रूबी बापना ने गुरुग्राम में चतुर्मास में चल रहे आध्यात्मिक कार्यक्रमों की जानकारी दी।
अशोक सुराणा गुरुग्राम ने भी अपने विचारों को प्रस्तुति दी। उपर्युक्त सभी ने गुरुग्राम सभा, गुरुग्राम ज्ञानशाला, प्रशिक्षिकाओं एवं कार्यकत्ताओं को बधाई दी। गुरुग्राम में पुन: ज्ञानशाला का प्रारंभ साध्वी श्री कुन्दन रेखा के मंगल पाठ से हुआ । कार्यक्रम का कुशलता से संचालन साध्वी कल्याण यशा जी ने किया।
इस अवसर पर लगभग 20 बच्चों, 55 श्रावक श्राविकाओं और समाज के गणमान्य लोगों की सहभागिता रही। गुड़गाँव सभा के नव निर्वाचित अध्यक्ष विनोद बापना, मंत्री जितेन्द्र जीरावला, एवं पूर्व अध्यक्ष प्रकाश जैन, वरिष्ठ श्रावक अशोक सुराणा, विमल जैन, तेयुप अध्यक्ष रिंकू गेलडा, कोषाध्यक्ष नवरतन जीरावला आदि भी मौजूद रहें।