डबवाली (बीआर वलजोत)। सीसीआई द्वारा नरमा कपास की खरीद बंद करने, वर्ष 2020 का बकाया मुआवजा नहीं दिए जाने व किसानों की अन्य किसानों की अन्य समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन चढूनी द्वारा कानूनी सलाहकार खुशदीप सिंह सरां एडवोकेट के नेतृत्व में एसडीएम अभय सिंह को सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय कपास निगम द्वारा नरमा कपास की खरीद बंद कर दी गई है जिस कारण निजी व्यापारी औने-पौने दामों पर कपास की खरीद करके किसानो का शोषण कर रहे है। इस बाबत खुशदीप सिंह सरां ने बताया कि कपास का समर्थन मूल्य 6620 रुपए है जबकि खरीद 4500-5000 रुपए तक की जा रही है। ऐसे में किसान को प्रति किवंटल करीब 2000 रुपए का घाटा उठाना पड रहा है।
नरमा कपास की बिक्री प्राइवेट होने के कारण सरकार की भावान्तर योजना में भी इस नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। इस प्रकार किसान की आय दोगुणी के सरकारी दावे पूरी तरह से खोखले नजर आ रहे हैं।
दूसरी ओर नरमे कपास की गुणवत्ता सही नहीं होने के लिए किसान कतई जिम्मेदार नही है, बल्कि इसकी जिम्मेदार भी सरकार से मिलीभगत कर चलाई जा रही बीज कंपनिया है। इसी कारण से नरमा कपास की पैदावार बहुत ही कम हुई है जिससे किसानों को इस बार काफी घाटा उठाना पड़ा है एवं सरकार ने भी किसानों को प्राइवेट खरीददारों के समक्ष लूटने के लिए छोड़ दिया है। यदि सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो किसानों की आय दोगुणी होने की बजाय पहले से भी आधी हो जाएगी।
ज्ञापन में उठाई अन्य मांगों में कहा गया कि वर्ष 2020 का मुआवजा जोकि बार-बार आश्वासन देने से भी अभी तक जारी ना किया गया है, सरकार तुरंत जारी करने का कष्ट करे। वर्ष 2023 में वर्षा व औलावृष्टि के कारण किसानो की गेहूं, सरसों व चना आदि की फसलो का भारी नुकसान हुआ था। इन फसलों का बीमा कलेम तुरन्त प्रभाव से जारी किया जाए। धान की पराली की गांठे बनाने का उचित प्रबंध किया जाए ताकि किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर न होना पड़े। किसानों पर दर्ज पराली जलाने के मामले रद्द किए जाएं।
किसान नेताओं ने चेताया कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों को जल्द पूरा नहीं किया तो भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) द्वारा अन्य संगठनो के साथ मिल संघर्ष का रास्ता अपनाया जाएगा जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी। इस अवसर पर यूनियन के ब्लॉक प्रधान गुरमेल सिंह मटदादू, हलका उपाध्यक्ष हरचरण सिंह खुइयां, गुरचरण सिंह, हरजिंद्र सिंह, अजय नेहरा, हरदीप सिंह, गुरजंट सिंह, खजांची गुरजीत विर्क व अन्य किसान मौजूद रहे।