चंडीगढ। सोशल लाइफ इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड और सोशल लाइफ हेल्प एंड केयर फाउंडेशन के चेयरमैन करण कुमार कामरा की शादी 28 अप्रैल 2017 को रोहिणी, दिल्ली निवासी हीना पिलानी पुत्री नरेंद्र पिलानी से जीरकपुर मोहाली (पंजाब) में हुई थी। शादी के बाद पत्नी और पत्नी के परिवार वालों ने लालच में आकर पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दिल्ली में ब्लैकमेलिंग करने के लिए अलग-अलग झूठी शिकायतें दर्ज कराईं।

पति ने खुद दिल्ली जाकर मुकदमों में हिस्सा लिया और वकालत की और पत्नी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने का मामला दर्ज करवा दिया। जब पत्नी को अपनी ही साजिश में सजा होने का खतरा सताने लगा तो पत्नी ने माफी मांग ली और आपसी सहमति से तलाक ले लिया।दरअसल, जब पत्नी को पता चला कि वह खुद झूठे केस में जेल जा सकती है तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ उसके बाद आपसी तलाक के लिए सहमति दी और पति के साथ एमओयू में प्रवेश किया और उसने स्वीकार किया कि “उसने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ गलत बयानी करके अलग-अलग शिकायतें दर्ज कीं।

उसने भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए, 406 और 34 के तहत 2019 की एफआईआर संख्या 250 दर्ज की। और झूठे बयानों से पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 125, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत मामले भी दर्ज किए। उसने पति के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (आई-ए) के तहत तलाक की याचिका भी दायर की। उसने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि गलत बयानी के जरिए अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराने और गुमराह होकर उन्हें बदनाम करने के लिए उसे गहरा खेद है।”

सी.आर.एल.एम.सी. 4543/2023 करण कुमार कामरा एवं अन्य बनाम राज्य और अन्य मुकदमें में माननीय नई दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए F.I.R समाप्त कर दी कि प्रतिवादी नंबर 2 पुष्टि करता है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और प्रतिवादी नंबर 2 को तलाक की डिक्री दिनांक 27.03.2023 को आपसी सहमति द्वारा तलाक दिया गया है।

वह आगे 18.11.2022 के एमओयू की पुष्टि करती है, जिसके तहत याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादी संख्या 2 के बीच सभी विवाद का निपटारा हो चुका है। वह आगे कहती है कि वर्तमान मामले में कुछ भी नहीं बचा है और अगर संबंधित एफआईआर रद्द कर दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। तदनुसार, उक्त याचिका को स्वीकार किया जाता है और पुलिस स्टेशन विजय विहार, दिल्ली में आईपीसी की धारा 498ए/406/34 के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 250/2019 और उससे होने वाली सभी कार्यवाही को रद्द कर दिया जाता है।

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