चंडीगढ़ /इदम न्यूज़ डेस्क , इन-ड्राइवर जैसी बड़ी कंपनियों के खिलाफ प्रशासन बेबस हो गया है। ये कंपनियां मोबाइल एप से चलती हैं। इनका चंडीगढ़ व आसपास कोई दफ्तर भी नहीं है। एसटीए अभियान चलाकर इन-ड्राइवर की गाड़ियां चलाने वालों के चालान काटता है। कई बार गाड़ियां जब्त की गई हैं लेकिन इसमें भी सिर्फ कार चालक ही फंसता है।
एक बार फिर चालान मुहिम तो तेज हुई लेकिन कम्पनी की सर्विसेज बदस्तूर जारी हैं ।
कई चालक जीरो कमीशन के लालच में ओला उबर छोड़ इन ड्राइवर चला तो रहे हैं , लेकिन दस हजार के चालान की तलवार लटकती रहती है।
चालक कहते कम्पनी ने झाड़ा पल्ला , 10 हजार का चालान भरेंगे तो बच्चों को रोटी गुरुद्वारे में ही मिलेगी
कुछ ड्राइवरों ने अपना नाम न बताने की विनती के साथ बताया कि यदि हम इन ड्राइवर का ₹10000 का चालान भरेंगे तो हमारे बच्चों को रोटी खाने तो गुरुद्वारे ही जाना पड़ेगा प्रशासन को चाहिए की सिर्फ लीगल कंपनियां ही चलने में ड्राइवरों की कमीशन निर्धारित करें ताकि उन्हें रोजी-रोटी के लाले ना पड़े।
एन जी ओ परिवर्तन वेलफेयर एसोसिएशन चंडीगढ़ की रितु गर्ग ने बताया कि हमारे पास इन ड्राइवर के दुर्व्यवहार की शिकायत भी आई है , उन्होंने आशंका जताई कि अनधिकृत ऐप के ड्राइवर का वेरिफिकेशन चेक नहीं होता ,शायद इसीलिए वो बदतमीजी से पेश आते हैं। उन्होंने बताया कि हम सब महिलाएं अपनी बच्चियों को मानक एप्स का ही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं ताकि वह सेफ रहे व सभी महिलाओं को अपनी राइड की जानकारी अपने परिवार से शेयर करने की भी सलाह दी जाती है।