मोहाली : कैंसर शरीर के किसी भी अंग या टिश्यू में पनप सकता है। यह विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है और दुनिया भर में व्यक्तियों, परिवारों, समुदायों और स्वास्थ्य प्रणालियों पर अत्यधिक शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय तनाव डालता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हमारे देश में हर साल 13 लाख से अधिक कैंसर के मामले सामने आते हैं, जबकि इसी अवधि के दौरान यह बीमारी 8.5 लाख से अधिक लोगों की जान ले लेती है। यह बात एक विशेष सत्र के दौरान डॉ. राजीव बेदी, डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने एडवाइजरी जारी करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने कैंसर बीमारी के लक्षणों और डायग्नोसिस पर प्रकाश भी डाला।
डॉ राजीव बेदी ने कहा कैंसर से जुड़े लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है, सबसे आम संकेतों में अत्यधिक थकान, त्वचा के नीचे गांठ या त्वचा का मोटा होना, वजन कम होना जैसे कि अनपेक्षित हानि या लाभ, शरीर में परिवर्तन, त्वचा का पीलापन, कालापन या त्वचा का लाल होना, घाव जो ठीक नहीं होते, या मौजूदा तिल में परिवर्तन, आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन, लगातार खांसी या सांस लेने में परेशानी, निगलने में कठिनाई, स्वर बैठना, लगातार अपच या खाने के बाद बेचैनी, लगातार, अस्पष्टीकृत मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द, अस्पष्टीकृत बुखार या रात को पसीना, अस्पष्टीकृत रक्तस्राव या खरोंच शामिल हैं।
नियमित स्क्रीनिंग क्यों महत्वपूर्ण है, पर बात करते हुए डॉ राजीव बेदी ने बताया कि स्क्रीनिंग का मतलब उन लोगों की पहचान करने के लिए सरल परीक्षणों के उपयोग से है, जिन्हें यह बीमारी हो सकती है, लेकिन कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। इनमें रक्त, मूत्र, डीएनए और मेडिकल इमेजिंग आधारित जांच शामिल हैं। स्क्रीनिंग का उद्देश्य उन लोगों की संख्या को कम करना है जो बीमारी से विकसित हो सकते हैं या मर सकते हैं, या कैंसर से होने वाली मौतों को पूरी तरह से रोक सकते हैं।
डॉ. बेदी ने कहा कि जांच और निदान से बीमारी का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। स्तन कैंसर के रोगी मैमोग्राफी या क्लिीनकल ब्रेस्ट कैंसर जांच, सेल्फ ब्रेस्ट जांच और मैग्नेटिक रीसोनेंन्स इमेजिंग से गुजरते हैं, जबकि सर्वाइकल कैंसर की जांच में पैप स्मीयर, हृयूमन पेपिलोमावायरस टेस्ट या एसिटिक एसिड के साथ विजुअल इंस्पेक्शन शामिल हैं। कोलोरेक्टल (कोलन) स्क्रीनिंग में कोलोनोस्कोपी, सिग्मायोडोस्कोपी, फेकल ऑकल्ट ब्लड टेस्ट (एफओबीटी), डबल कंट्रास्ट बेरियम एनीमा और स्टूल डीएनए टेस्ट शामिल हैं। प्रोस्टेट स्क्रीनिंग में डिजिटल रेक्टल परीक्षा (डीआरई) और प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) टेस्ट शामिल हैं। कैंसर की जांच, पुष्टि और निगरानी के तरीकों में अल्ट्रासाउंड, डिजिटल मैमोग्राफी, ट्रू-कट बायोप्सी, एमआरआई, सीटी-स्कैन और पीईटी-स्कैन और एमआर-स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीकें शामिल हैं। इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (आईएचसी), इन सीटू हाइब्रिडाइजेशन (आईएसएच, सीएसएच), आरटी-पीसीआर (रियल टाइम- पीसीआर), फ्लो साइटोमेट्री, माइक्रोएरे, नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) और लिक्विड बायोप्सी जैसी अन्य तकनीकें शामिल हैं।
डॉ बेदी ने कहा कि एक बार कैंसर का निदान हो जाने के बाद, ट्यूमर बोर्ड में एक सर्जन, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट और अन्य प्रमुख विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो उपचार की रेखा पर निर्णय लेते हैं। सबसे आम दृष्टिकोण सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन हैं। आजकल, बेहतर कॉस्मेसिस के साथ सर्जरी न्यूनतम इंवेसिव, कम दर्दनाक हो गई है। उ नए विकल्पों में टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी/चेक-प्वाइंट इनहिबिटर शामिल हैं। प्रेसिजन मेडिसिन एक मरीज की व्यक्तिगत विशेषताओं पर आधारित है। रेडिएशन तकनीकों ने भी पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।