चंडीगढ़/रमेश कुमार। रिश्वतखोरी के मामले में अदालत में ब्यान से पलटने वाले शिकायतकर्ता और गवाह के खिलाफ जगाधरी, यमुनानगर की कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए दोनों को 6 माह कारावास व 1000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
एंटी करप्शन ब्यूरो, हरियाणा के प्रवक्ता ने आज यहां जानकारी देते हुए बताया कि साल 2013 में जिला अंबाला निवासी शिकायतकर्ता विक्रम सिंह से 3000 रुपये रिश्वत लेने के मामले में उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड के मीटर रीडर, परमजीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पंचकुला में केस दर्ज किया गया था।

अनुसंधान पूर्ण होने के बाद अभियोग का चालान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, जगाधरी, यमुनानगर की अदालत में दिया गया। जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय अदालत द्वारा 18.02.2015 को आरोपी परमजीत सिंह को 2 साल की सजा व 2000 जुर्माना किया गया।

उल्लेखनीय है कि किसी आम आदमी से कोई सरकारी अधिकारी व कर्मचारी काम की एवज में रिश्वत मांगता है तो उसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो में की जाती है। इसके बाद शिकायत के आधार पर ब्यूरो की टीम उस अधिकारी व कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लेती है। इसमें केस दर्ज करके एंटी करप्शन ब्यूरो अपना चालान कोर्ट में पेश कर देता है, लेकिन इस मामले में शिकायतकर्ता व छाया गवाह कोर्ट में अपने बयानों से मुकर गए। यह उस हालात में हुआ, जब उनकी शिकायत के आधार पर आरोपी को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। शिकायतकर्ता के बयान बदलने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।

इस मामले में शिकायतकर्ता विक्रम सिंह व छाया गवाह रणबीर सिंह द्वारा कोर्ट में दिये गये ब्यानों से पलटने उपरांत ब्यूरो द्वारा दोनों के खिलाफ धारा 340 दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार कोर्ट में झूठे ब्यान देने व ब्यानों से पलटने के लिए कार्रवाई किए जाने हेतु याचिका न्यायालय में दायर की गई थी। जिसमें 21.01.2023 को दिए गए निर्णय अनुसार विक्रम सिंह और रणबीर सिंह को धारा 193 भारतीय दंड संहिता के तहत 6 माह कारावास व 1000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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