चंडीगढ़/त्रिपुरारी शर्मा : ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में, भारत को इस बात पर गर्व है कि नई संसद, जोकि लोकतंत्र का मौजूदा मंदिर है और जो जल्द ही अपने 100 साल पूरे कर रहा है, हमारे ही लोगों द्वारा बनाया जा रहा है, जोकि हमारे अपने “कारीगर” (वर्कर) हैं।
और इन वर्कर के प्रयासों को मान्यता देते हुए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वावधान में काम कर रहे फर्नीचर और फिटिंग स्किल काउंसिल (एफएफएससी) ने एनडीएमसी अधिकार क्षेत्र और नरसी ग्रुप के सहयोग से आरपीएल मान्यता के तहत 910 कारपेन्टरों को प्रशिक्षित और प्रमाणित किया है।
इस परियोजना का उद्देश्य कारपेन्टर के कौशल प्रशिक्षण को बढ़ाना और उन्हें भारत की प्रगति और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले नए संसद भवन के लिए एक विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने में सक्षम बनाना है। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के संयुक्त सचिव डॉ.कृष्ण कुमार द्विवेदी ने कहा, संसद भवन भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत का प्रतीक है, और यह भारत के शौर्य और गौरव का प्रतीक है। आज का समारोह हमारे कारपेंटरों को सर्वश्रेष्ठ हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण, औपचारिक प्रमाणन प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो कौशल सेट की पहचान को सक्षम करेगा और नए संसद भवन में एक शीर्ष-स्तरीय बुनियादी ढांचा स्थापित करने में सहायता करेगा।
इस प्रशिक्षण से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी उम्मीदवारों की संभावनाएं बढ़ेंगी। इस प्रशिक्षण के साथ, हमारे कारपेंटर के पास विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने और उद्योग की मांगों को पूरा करने वाली प्रसिद्ध परियोजनाओं को पूरा करने की क्षमता होगी। यह पहल एक कुशल कार्यबल के निर्माण के लिए सरकार की पहल को रेखांकित करती है जो हमारे देश की वृद्धि और विकास को गति दे सकती