चंडीगढ़: फोर्टिस मोहाली के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. हरदीप सिंह का कहना है कि “फोर्टिस मोहाली में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श के लिए आने वाले और उनके माता-पिता द्वारा लाए जाने वाले युवाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। जहां सोशल मीडिया की लत उन्हें आक्रामक बना रही है, वहीं वे अपने माता-पिता की शिक्षा में उच्च उम्मीदों से मेल खाने के तनाव से भी गुजर रहे हैं”।

लोकलसर्कल्स (https://www.localcircles.com/a/press/page/children-gadget-addiction-india) द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 3 में से 1 माता-पिता का कहना है कि उनके बच्चे सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग की लत से अगग्रेसिव और डिप्रेस्ड हो रहे हैं। डॉ. हरदीप ने यह भी बताया कि भारत में किए गए एक अन्य राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि 9 से 17 वर्ष की आयु के बीच के दस में से छह युवा प्रतिदिन तीन घंटे से अधिक सोशल मीडिया या गेमिंग साइटों पर बिताते हैं। सर्वेक्षण से पता चला कि लंबे समय तक सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चों में डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने और इसके समर्थन में प्रयास करने के लिए, हर साल 10 अक्टूबर को दुनिया भर में वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे मनाया जाता है। इस वर्ष के आयोजन का विषय है – “मेन्टल हेल्थ आ यूनिवर्सल ह्यूमन राइट।”

डॉ. हरदीप सिंह ने एक सलाह में बताया कि क्यों मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखना।

डॉ सिंह ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य में भावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है जो किसी व्यक्ति को भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्तर पर प्रभावित करती है। डॉ. सिंह ने कहा, “मानसिक क्षमता यह है कि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से कैसे निपटता है और यह उनकी निर्णय लेने की शक्ति को कैसे प्रभावित करता है।”

उन्होंने कहा कि कड़वी सच्चाई यह है कि हमारे समाज में किसी को भी आपकी समस्याओं की परवाह या याद नहीं है। हमें स्वयं उनसे निपटना सीखना होगा। मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनलसे संपर्क करना अपनी कार की सर्विस कराने जैसा है। कोई शर्म की बात नहीं है. जितना अधिक हम अपने मुद्दों के बारे में बात करते हैं, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है। हमें कलंक की बेड़ियाँ तोड़ने और खुलने की जरूरत है। याद रखें, आपका डॉक्टर ऐसा करने के लिए कोई गोली या थेरेपी नहीं लिखना चाहता, बल्कि आपको स्थिति से बाहर निकालने में मदद करना चाहता है। अंत में मनोरोग दवाओं से जुड़े मिथकों को दूर करें। वे सुरक्षित हैं।

उन्होंने अपनी सलाह देता हुए कहा कि हमें हर सुबह उठकर इस तथ्य को समझने की ज़रूरत है कि मानसिक बीमारियाँ शारीरिक बीमारियों की तरह ही हैं। स्वीकृति आधी लड़ाई जीत लेने के समान है। और, विशेषज्ञ की सलाह का पालन करना हमेशा सर्वोत्तम होता है।।

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