जीरकपुर / मुकेश चौहान, पंजाब के लुधियाना के एक गांव जसपाल बांगर के खूबसूरत शख्सियत वाले अभिनेता टाइगर हरमीक सिंह को कलर्स चैनल पर चल रहे धारावाहिक ‘जंजूनियत’ में मुख्य खलनायक के तौर पर चुना गया है। एक साधारण परिवार से आने वाले टाइगर हरमीक को बचपन से ही टीवी में दिलचस्पी थी। अमरीश पुरी और शाहरुख़ खान को टीवी पर देखकर इस बच्चे ने ठान लिया था की एक दिन एक्टर बनकर इनके साथ परदे पर नज़र आएगा। बच्चे का यह सपना कब जूनून में बदला और कैसे यह जूनून हरमीक को ‘जंजूनियत’ तक ले आया, आइए जानते हैं ।
सोनी पर आने वाले धारावाहिक आहट में एक छोटे से किरदार से लेकर बड़े परदे तक का सफ़र बेहद मुश्किल रहा। सीरियल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए एडिटिंग के कई कठिन पड़ावों से गुजरना पड़ा। मुंबई के मशहूर बैरी जॉन एक्टिंग इंस्टीट्यूट से पासआउट हरमीक कहते हैं कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सियाराम की ऐड फिल्मों से की, जिसका ब्रेक उन्हें कॉलेज के ही एक ऑडिशन से मिला। इसमें उन्हें जॉन अब्राहम के साथ काम करने और उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।
एक्टिंग और डायरेक्शन में गजब का हुनर रखने वाले हरमीक के मुताबिक, वह ओटीटी प्लेटफार्म के लिए एक सीरीज तयार कर रहे हैं। उनकी फिल्म हवेली 1939 भी जल्द ही बड़े परदे पर नज़र आएगी, जिसे हिंदी और पंजाबी में डब किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एक अभिनेता के रूप में हों या एक निर्देशक के रूप में, उनका प्रयास हमेशा अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाने का रहा है। धारावाहिक में अपनी भूमिका से वह बेहद खुश हैं। एक समय था जब वह सिर्फ हीरो बनना चाहते थे, लेकिन किरदार की एहमियत को समझने के बाद उन्होंने नेगेटिव रोल के लिए हामी भर दी। क्रिएटिव टीम ने उनकी क्षमता और समर्पण को देखते हुए उनके किरदार को और प्रभावी बना दिया, जो उनके लिए बहुत ही गर्व की बात है।
हरमीक अपनी सफलता का श्रेय पत्नी मणि बोपाराय के प्रोत्साहन को देते हैं। साथ ही, वह पंजाबी कलाकार योगराज सिंह और नीना बुन्धेल के सहयोग को भी अहम मानते हैं। करियर और जीवन में उन्हें काफी उतार-चढ़ाव देखने पड़े। पिता के अचानक गायब हो जाने के बाद उन्हें मुंबई में सब कुछ छोड़ कर वापस लौटना पड़ा। उनके पिता की सीख थी कि “शरीर इंसान का सबसे बड़ा साथी होता है, इसलिए कसरत करना कभी मत छोड़ना”। अभिनय में जाने से पहले, 2007 में उन्होंने मिस्टर इंडिया खिताब जीता।
उन्होंने कहा कि जीवनसाथी ने दोबारा एक्टिंग शुरू करने के लिए प्रेरित किया। नए कलाकारों के लिए उनका कहना है कि ऑडिशन ज़रूर देना चाहिए। कोई नहीं जानता कि किस्मत कब चमक जाएगी। कभी भी मुश्किलों से डर कर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। असली योद्धा वह होता है जो हार सामने देख कर भी आखिर तक लड़ता रहता है।